Bihar Shiksha Vibhag: बिहार शिक्षा विभाग इन दिनों काफी सख्ती के साथ शिक्षा विभाग में अपनी कामों को लेकर वियस्त हैं। दरअसल सक्षमता परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके नियोजित शिक्षकों की काउंसलिंग प्रक्रिया अभी भी लगातार जारी है। इस दौरान प्रमाण पत्रों के सत्यापन के क्रम में कई शिक्षक संदेह के घेरे में आ चुके हैं।
आपको बता दें कि बीते दिनों यह मामला छह जिलों में पकड़ा गया था। जहां 32 शिक्षकों के बीएड की डिग्रियों में विसंगति मिली थी। लेकिन तजा रिपोर्ट के मुताबिक ऐसे शिक्षकों में वृद्धि हुई है जो अब 32 के जगह 33 हो गया है।
क्या है मामला?
दरअसल यह मामला कुल 6 जिलों का था लेकिन अब वो 7 जिलों का हो गया है। आपको बता दें कि इन सभी शिक्षकों का डिग्री अमान्य संस्तानों का बताया जा रहा है। जिसकी जांच शिक्षा विभाग द्वारा किया जा रहा है।
दरअसल यह डिग्रियां उन शिक्षण संस्थानों से संबंधित है, जो शिक्षा विभाग की सूची में अमान्य घोषित हैं। ऐसे शिक्षकों को संबंधित जिला कार्यक्रम पदाधिकारी द्वारा कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। जिसका जवाब अभी तक नहीं मिला है।
कॉउंसलिंग शिक्षा अधिकारी का बयान
कॉउंसलिंग शिक्षा अधिकारी ने बयान में कहा है कि इन शिक्षकों के पेपर की जांच सावधानी पूर्वक की जा रही है। अभी तक कुल 7 जिलों में यह मामला प्रकाश में आया है। हालांकि अभी तक पूरी कॉउंसलिंग होनी बाकी है। ऐसे में माना जा रहा है कि कई शिक्षकों की नौकरी पर बात बन आई है। ऐसे शिक्षकों की जांच पड़ताल की जाने के बाद ही मामला को अंतिम रूप दिया जायेगा।
सिवान, औरंगाबाद, पश्चिम चंपारण, किशनगंज, कटिहार, मधुबनी और मधेपुरा जिले के नियोजित शिक्षकों के बीएड की डिग्रीयों का मामला संदिग्ध पाया गया है। इनमें प्रारंभिक शिक्षक से लेकर माध्यमिक शिक्षक तक शामिल हैं।
इन डिग्रियों पर उठे कड़े सवाल
आपको बता दें कि जिन पांच शिक्षकों के बीएड की डिग्री पर सवाल उठे हैं। उनमें तीन शिक्षकों की बीएड की डिग्री उन संस्थानों से है जो शिक्षा विभाग की सूची में शामिल नहीं है बल्कि अमान्य हैं।
इतना ही नहीं 2 शिक्षकों की बीएड की डिग्री जिन संस्थानों से है, वे संदेहास्पद है। रिपोर्ट की मानें तो सभी छह शिक्षकों को वहां के जिला मैं कार्यक्रम पदाधिकारी ने कारण बताओ नोटिस भी जारी किया है।
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