Bihar Education: बिहार के सरकारी स्कूलों में हेडमास्टर अब सिर्फ बच्चों की पढ़ाई पर ध्यान देंगे, क्योंकि शिक्षा विभाग उन्हें मिड डे मील (मध्याह्न भोजन) की जिम्मेदारियों से मुक्त करने जा रहा है। विभाग के अपर मुख्य सचिव एस सिद्धार्थ ने अधिकारियों को इस दिशा में काम करने का निर्देश दिया है, और इस पर कार्रवाई भी शुरू हो गई है।
हेडमास्टर कोई और देखेंगे वयवस्था
नई व्यवस्था के तहत, स्कूलों में मिड डे मील का काम हेडमास्टर के बजाय किसी अन्य के माध्यम से किया जाएगा। एक विचार यह है कि ग्राम पंचायत स्तर पर एक जगह पर खाना पकाया जाए और फिर इसे पंचायत के सभी स्कूलों में वितरित किया जाए। इससे हेडमास्टरों को इस प्रक्रिया से पूरी तरह अलग रखा जा सकेगा।
अब बच्चों की पढ़ाई पर होगी फोकस
वर्तमान में, मिड डे मील की जिम्मेदारी प्रधानाध्यापक की होती है। वे खाद्यान्न की निगरानी करते हैं और संबंधित कर्मी को जानकारी देते हैं। उनके हस्ताक्षर से ही वेंडर के खाते में पैसा भेजा जाता है। लेकिन नई व्यवस्था लागू होने के बाद, प्रधानाध्यापकों की भूमिका इसमें न के बराबर होगी, जिससे वे पूरी तरह से छात्रों की पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित कर सकेंगे।
Bihar Education: तमिलनाडु के आधार पर होगा बिहार मॉडल
शिक्षा विभाग इस नई व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए तमिलनाडु की मध्याह्न भोजन योजना का अध्ययन करेगा। जल्द ही एक टीम, जिसमें मुख्यालय के पदाधिकारी और कुछ जिला शिक्षा अधिकारी शामिल होंगे, तमिलनाडु जाएगी। वहां की योजना को मॉडल मानकर बिहार में भी लागू करने पर विचार किया जा रहा है।
यह कदम छात्रों की शिक्षा को प्राथमिकता देने के लिए उठाया जा रहा है, ताकि प्रधानाध्यापक और शिक्षक पूरी तरह से बच्चों की पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान दे सकें, और मिड डे मील जैसी प्रशासनिक जिम्मेदारियों से उन्हें मुक्ति मिल सके। इस योजना पर अगले महीने अंतिम फैसला होने की संभावना है।
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