Madrasa Survey: उत्तर प्रदेश में निजी मदरसों का सर्वेक्षण को लेकर बयानबाज़ी काफी तेज़ हो गई है। इस सर्वेक्षण को लेकर तरह-तरह की आशंकाएं उत्पन्न होने और इस पर राजनीतिक बयानबाजी में आई तेजी के बीच राज्य सरकार ने इस सर्वेक्षण को सियासत से दूर रखने का आह्वान किया। इस पर सरकार ने कहा यह सर्वे सभी मदरसों को मुख्यधारा में लाने के लिए उठाया जा रहा एक बड़ा कदम है।
उत्तर प्रदेश सरकार ने गत 31 अगस्त को राज्य में संचालित सभी गैर मान्यता प्राप्त निजी मदरसों का सर्वेक्षण करने का आदेश दिया था। इसके लिए 10 सितंबर तक टीम गठित करने का काम खत्म कर लिया गया। आदेश के मुताबिक 15 अक्टूबर तक सर्वे पूरा करके 25 अक्टूबर तक रिपोर्ट सरकार को सौंपने को कहा गया। उत्तर प्रदेश में इस वक्त लगभग 16 हजार निजी मदरसे हैं, जिनमें प्रसिद्ध इस्लामी शिक्षण संस्थान नदवतुल उलमा और दारुल उलूम देवबंद भी शामिल हैं। राज्य सरकार के फैसले के बाद अब इनका भी सर्वे किया जाएगा।
जमीयत-उलमा-ए-हिंद की एक बैठक भी हुई थी
इस फैसले को लेकर निजी मदरसों के प्रबंधन और संचालकों ने तरह-तरह की आशंकाएं जाहिर की हैं। इसे लेकर गत छह सितंबर को दिल्ली में जमीयत-उलमा-ए-हिंद की एक बैठक भी हुई थी, जिसमें कहा गया कि अगर सरकार सर्वे करना चाहती है तो करे, लेकिन मदरसों के अंदरूनी मामलों में कोई दखलंदाजी नहीं होनी चाहिए।
सर्वे से कोई आपत्ति नहीं
जमीयत-उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी ने रविवार को बातचीत में कहा कि सरकार शौक से सर्वे करे। उन्होंने कहा कि इसमें किसी को कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इस बात का ख्याल रखा जाए कि मदरसों के आंतरिक मामलों में कोई दखलंदाजी न हो। उन्होंने कहा कि जमीयत ने मदरसों को परामर्श जारी किया है कि वे अपने-अपने यहां छात्र-छात्राओं की सुविधाओं को दुरुस्त करें।
जमीयत की बैठक में कथित रूप से यह आशंका भी जताई गई कि सरकार इस सर्वे के जरिए अनेक मदरसों को अवैध घोषित करके उन पर बुलडोजर चलवा देगी, जैसा कि असम में कुछ मदरसों के साथ किया गया था।
मंत्री ने कहा किसी मदरसे पर नहीं चलेगा बुल्डोजर
अंसारी ने कहा कि यह आशंका जताने वाले लोग पहले यह बताएं कि क्या पिछले पांच वर्षों के दौरान राज्य के किस मदरसे पर बुलडोजर चला। उन्होंने कहा कि वह व्यक्तिगत रूप से भरोसा दिलाते हैं, कि किसी भी मदरसे पर बुलडोजर नहीं चलेगा। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार मदरसों को मुख्यधारा में लाने के लिए पूरी ईमानदारी से काम कर रही है, और सर्वेक्षण का मकसद मदरसों की वास्तविक स्थिति को जानना तथा उनके स्तर को बेहतर बनाने में उनकी मदद करना है।
मदरसा संचालकों से पूछा जाएगा सवाल
अंसारी ने बताया कि सर्वे के दौरान मदरसा संचालकों से यह भी पूछा जाएगा कि वह सरकार की किन-किन योजनाओं से जुड़ना चाहते हैं और साथ ही सर्वे के दस्तावेज के साथ राज्य सरकार की अल्पसंख्यकों से संबंधित विभिन्न योजनाओं की जानकारी से जुड़े कागजात और फार्म भी उन्हें उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने कहा कि इससे गांव-कस्बों में चल रहे मदरसों तक भी योजनाएं पहुंचाई जा सकेंगी जो अब तक नहीं पहुंची हैं।
राज्य मंत्री अंसारी ने आलोचना कर रहे राजनीतिक दलों से कहा है कि मदरसों के सर्वे को सियासत से दूर रखें, बल्कि अगर वे वाकई मुसलमानों की हितैषी हैं तो उन्हें सुविधाओं के अभाव का सामना कर रहे निजी मदरसों के उत्थान के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए जा रहे इस कदम का समर्थन करना चाहिए।
सर्वे को लेकर तीन बड़े फैसले हुए
उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकार द्वारा निजी मदरसों का सर्वेक्षण कराए जाने के मुद्दे पर जमीयत-उलमा-ए-हिंद की दिल्ली में गत छह सितंबर को एक बैठक हुई, जिसमें वो मदरसा संचालक शामिल हुए जो बिना सरकारी मदद के मदरसे चला रहे हैं। बैठक में सर्वे को लेकर तीन बड़े फैसले हुए। इनमें सरकार से मिलकर मुस्लिम समाज का पक्ष रखने, इस पूरे मामले पर नजर रखने के लिए एक स्टीयरिंग कमेटी बनाने और गलत तरीके से सर्वे हुआ तो उसका विरोध करने का फैसला किया गया।
बैठक में यह फैसला किया गया कि आगामी 24 सितंबर को दारुल उलूम देवबंद में संगठन की बैठक होगी। जिसमें अगली रणनीति तय की जाएगी। लखनऊ स्थित मदरसा मसूद-उल-उलूम के संचालक मौलाना खलील अहमद ने बताया कि प्रदेश के निजी मदरसों में भी आमतौर पर राज्य मदरसा शिक्षा बोर्ड द्वारा संचालित पाठ्यक्रम ही पढ़ाया जाता है। निजी मदरसों का संचालन और रखरखाव अमूमन जकात की रकम और लोगों के स्वैच्छिक आर्थिक और खाद्य पदार्थ रूपी सहयोग से किया जाता है।
31 अगस्त को मदरसों का सर्वे कराने का आदेश दिया था
उत्तर प्रदेश सरकार ने गत 31 अगस्त को मदरसों में छात्र-छात्राओं को मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के सिलसिले में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अपेक्षा के मुताबिक प्रदेश के सभी गैर मान्यता प्राप्त मदरसों का सर्वे कराने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश में इस वक्त कुल 16,461 मदरसे हैं, जिनमें से 560 को सरकारी अनुदान दिया जाता है. प्रदेश में पिछले छह साल से नए मदरसों को अनुदान सूची में नहीं लिया गया है।
सर्वे में पूछे जाने वाले सवाल
सर्वे में मदरसे का नाम, उसका संचालन करने वाली संस्था का नाम, क्या मदरसा निजी या किराए के भवन में चल रहा है, मदरसे में पढ़ रहे छात्र-छात्राओं की संख्या, पेयजल, फर्नीचर, विद्युत आपूर्ति तथा शौचालय की व्यवस्था, मदरसे में कुल कितने शिक्षक हैं, मदरसे में लागू पाठ्यक्रम, मदरसे की आय का स्रोत और किसी गैर सरकारी संस्था से मदरसे की संबद्धता से संबंधित सूचनाएं इकट्ठा की जाएंगी।