Sakshamta News: बिहार में एक तरफ लगातार शिक्षक बहाली प्रक्रिया जारी है तो वहीं दूसरी तरफ पहले से कार्यरत नियोजित शिक्षकों को विशिष्ट शिक्षक (कथित राज्यकर्मी) बनाने के लिए जबरन सक्षमता परीक्षा देने को मजबूर किया जा रहा है। परीक्षा 26 फरवरी से शुरू होनी है, जिसके लिए 1 फरवरी से परीक्षा फॉर्म भरने के लिए पोर्टल तैयार किया गया है।
लेकिन पोर्टल लांच के दो दिनों के बाद एक भी नियोजित शिक्षकों ने अब तक रजिस्ट्रेशन नहीं किया हैं। जो सरकार के लिए एक चिंता का विषय है। वहीं नियोजित शिक्षकों का कहना है, सरकार जब तक शिक्षक नियमावली 2023 बदलाव नहीं करेगी तब तक हम यह फॉर्म नहीं भरेंगे।
के के पाठक की अध्यक्षता में हुआ कमिटी का गठन
आपको बताते चलें कि एक भी फॉर्म न भरने से शिक्षा विभाग में खलबली सी मच गई है क्योंकि सरकार ने आनन-फानन में शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की अध्यक्षता वाली एक कमिटी का गठन किया है। जो यह तय करेगी कि परीक्षा में जानबूझ कर शामिल न होने वाले शिक्षकों पर क्या कारवाही की जाएगी
शिक्षक नियमावली 2023 में हुआ हेरफेर
नियोजित शिक्षकों को कथित तौर पर राज्य कर्मी बनाने के लिए बिहार सरकार द्वारा शिक्षकों को एक मामूली परीक्षा देने की बात कही गई थी। लेकिन बाद में शिक्षक नियमावली 2023 के सामने आने के बाद शिक्षकों में काफी नाराजगी है।
दरअसल नियोजित शिक्षकों को राज्य कर्मी बनने के लिए सक्षमता नामक एक परीक्षा देना होगा, परीक्षा तीन एटेम्पट में पास करना ज़रूरी है, साथ ही परीक्षा पास करने के बाद उन्हें उनके द्वारा चुने गए तीन जिलों में कहीं भी पोस्टिंग दी जाएगी। जो शिक्षकों की दृष्टि से बिलकुल न्यायसंगत नहीं है।
शिक्षकों ने किया हाई कोर्ट का रुख
राज्य भर के नियोजित शिक्षक सक्षमता परीक्षा का जमकर विरोध कर रहे हैं। यहाँ तक कि शिक्षकों ने अब हाई कोर्ट का भी रुख किया है। और जल्द ही हाई कोर्ट इस पर निर्णय लेगी। इस निर्णय के आने से पहले शिक्षक संघों ने शिक्षकों से सक्षमता परीक्षा फॉर्म ना भरने की अपील की है।
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