सितंबर में, पुरानी पेंशन योजना (Old Pension Scheme) को लेकर देशभर के कर्मचारियों ने दिल्ली के रामलीला मैदान में प्रदर्शन किया। लाखों की संख्या में जुटे कर्मचारी अपने हक की मांग सरकार तक पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे। यह आन्दोलन पूरे देश में गूंजा और हाहाकार मचा दिया। बावजूद इसके भारतीय मीडिया ने इसे कायदे से नज़र अंदाज़ किया।
दोस्तों मैं आपसे एक सवाल पूछता हूँ! यदि कोई संगठन या संसथान अपनी मांग को लेकर सरकार से सवाल करती है! तो आप बताइए इस मांग को सरकार के समक्ष रखने की जिम्मेदारी किसकी है?
एक सवाल आपसे
आपको मालूम ही है कि मीडिया को देश का चौथा स्तम्भ (Fourth Pillar) कहा जाता है। तो क्या लगता है आपको कि इस वक़्त देश की मीडिया अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रहा है? क्या उन्हें कर्मचारियों द्वारा किए गए प्रदर्शन को सरकार तक नहीं पहुंचाना चाहिए था?
ऐसी क्या वजह थी कि इतने बड़े प्रदर्शन को नेशनल मीडिया ने अपने चैनल पर नहीं दिखाया। यह सवाल आपके मन में भी जरूर चल रहा होगा।
यह है असली कारण
जैसा कि आपको मालूम है इस वक़्त देश की बड़ी-बड़ी मीडिया कंपनियों को केंद्र सरकार से बड़े पैमाने पर विज्ञापन मिलते हैं। जो इन मीडिया कंपनियों का बड़े आय का स्रोत है।
और यह कंपनियां आय के इतने बड़े स्रोत को खोना नहीं चाहती है। {इस बारे में कई रिपोर्ट इंटरनेट पर मौजूद है} बस यही वजह है कि यह कम्पनियाँ अपने विज्ञापन दाता के लिए सॉफ्ट कार्नर रखती है। और केंद्र सरकार पुरानी पेंशन योजना के खिलाफ है। कहते हैं समझदार के लिए इशारा काफी होता है।
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पुरानी पेंशन मांग पर क्यों अड़े हैं कर्मचारी?
तो बात यह है कि आखिर कर्मचारियों को पुरानी पेंशन क्यों मिलनी चाहिए। और इस योजना को लागू करवाने के लिए कर्मचारी क्यों मांग पर अड़े हैं? इसका उदाहरण नीचे समझने का प्रयास कीजिए…
पुरानी पेंशन योजना से मिलने वाले लाभ | नई पेंशन योजना से मिलने वाले लाभ |
सरकारी कर्मचारियों को रिटायरमेंट पर आधी वेतन पेंशन के रूप में मिलती है। | कर्मचारी की बेसिक सैलरी और डीए का 10 फीसदी हिस्सा कटता है। |
ओपीएस के तहत कर्मचारियों के वेतन से पेंशन के लिए कोई पैसा नहीं कटता है। | नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आधारित है, जिस कारण यह उतना सुरक्षित नहीं है। |
पुरानी पेंशन योजना के तहत भुगतान सरकार अपने खजाने से पेमेंट करती है। | इसमें छह महीने बाद महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी का प्रावधान नहीं है। |
इस स्कीम में 20 लाख रुपये तक ग्रेच्युटी मिलती है। | रिटायरमेंट के बाद निश्चित पेंशन की गारंटी नहीं है। |
इसमें जनरल प्रोविडेंड फंड का प्रावधान है। | यह टैक्स कटौती के तहत भी आता है। |
इसमें छह महीने बाद महंगाई भत्ता बढ़ाने का प्रावधान है | रिटायरमेंट के बाद पेंशन पाने के लिए आपको 40% एनपीएस का हिस्सा एन्युटी में निवेश करना होगा। |
यही कारण है कि कर्मचारी पुरानी पेंशन योजना के लिए अपनी मांग पर अड़े हैं। दोस्तों कैसा लगा आपको हमारा यह रीसर्च! इस बारे में हमें कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
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