वन रैंक वन पेंशन: पेंशनकर्मियों को एक फिर से बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल सभी योग्य पेंशन कर्मियों को अभी अपने लंबित भुगतान के लिए थोड़ा लंबा इंतजार करना पड़ेगा।
दरअसल पेंशन भोगियों को वन रैंक वन पेंशन योजना के बकाया के भुगतान में 3 माह की देरी देखने को मिल सकती है। इसके लिए केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर दी गई है।
अतिरिक्त समय की मांग
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करते हुए केंद्र सरकार द्वारा सशस्त्र बलों के सभी योग पेंशन भोगियों को वन रैंक वन पेंशन योजना बकाए के भुगतान के लिए 15 मार्च 2023 का समय मांगा गया है।
इससे पहले केंद्र सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में गणना करने और भुगतान करने के लिए 3 महीने की मोहलत की मांग की गई थी। अगली बार फिर से अतिरिक्त समय की मांग की जाती है।
क्या है योजना में अबतक का अपडेट?
इससे पहले 16 सितंबर 2022 को सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को वन रैंक वन पेंशन योजना को लागू करने के लिए दिसंबर तक का समय दिया था। केंद्र सरकार द्वारा समय सीमा समाप्त होने से पहले योजना के रकम के भुगतान के लिए अतिरिक्त 3 महीने की मांग की गई थी।
इस मांग पर न्यायमूर्ति धनंजय वाय चंद्रचूड़ और हिमा कोहली की पीठ द्वारा केंद्र की आवेदन को स्वीकार किया गया था। साथ ही दिसंबर तक का समय दिया गया था। जो 3 महीने की अवधि 15 दिसंबर को समाप्त हो चुकी है।
2016 में वन रैंक वन पेंशन योजना को चुनौती दी गई थी
इससे पहले इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट द्वारा 2016 में वन रैंक वन पेंशन योजना को चुनौती दी गई थी। इस मामले में अदालत में कहा गया था कि, सेवानिवृत सशस्त्र बलों के कर्मचारियों को 7 नवंबर 2015 में लागू हुई इस योजना के तहत लंबित बकाया राशि से वंचित कर दिया गया है। जबकि कर्मचारियों को लंबित बकाया पाने का अधिकार है।
इस योजना के तहत हर 5 साल में पेंशन के पुनः निर्धारण की परिकल्पना की गई थी। इसके लिए पेंशन निर्धारण 2019 में होना था। लेकिन अदालत में मामला लंबित होने के कारण ऐसा नहीं हो सका था।
जिस पर मार्च महीने में अदालत ने बड़ा फैसला देते हुए कहा था कि 7 नवंबर 2015 के संदर्भ में 5 साल की समाप्ति पर 1 जुलाई 2019 तक पेंशन का पुनः निर्धारण किया जाए। इसके साथ ही सभी सशस्त्र बलों को पेंशनर्स की बकाया राशि की गणना कर उसका भुगतान 3 महीने के भीतर किया जाए।
क्या है वन रैंक वन पेंशन योजना
- 2014 में सत्ता में आते ही केंद्र की बीजेपी सरकार द्वारा रिटायर्ड सैनिकों के लिए वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने की घोषणा की गई थी। इस योजना के तहत अलग-अलग समय पर सेवानिवृत्त हुए एक ही रैंक के 2 सेना अधिकारियों की पेंशन राशि में अंतर नहीं होता है।
- इससे पहले के नियम में सेवानिवृत्त हुए सैनिकों को अपने छोटे रैंक के अधिकारियों से भी कम पेंशन का लाभ मिलता था। जिसके कारण रिटायर सैनिक इसका विरोध कर रहे थे और वह लंबे समय से एक समान पेंशन की मांग कर रहे थे।
- वही 2008 में पूर्व सैनिक के इंडियन एक्स सर्विसमैन मूवमेंट के संगठन द्वारा वन रैंक वन पेंशन की मांग के लिए बड़ा आंदोलन किया गया था।
- 85 दिन तक इसके लिए जंतर-मंतर पर आंदोलन किया गया।
- 2009 में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा वन रैंक वन पेंशन योजना को आगे बढ़ाने का आदेश दिया गया।
- 2010 में संसद की स्थाई समिति द्वारा वन रैंक वन पेंशन योजना को लागू करने की सिफारिश की गई थी।
- 2014 एनडीए सरकार द्वारा 1000 करोड़ के बजट का प्रावधान किया गया। हालांकि तब इसे लागू नहीं किया गया था फरवरी 2015 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा केंद्र सरकार को 3 महीने के भीतर वन रैंक वन पेंशन योजना लागू करने के निर्देश दिए गए थे।
जानें वन रैंक वन पेंशन योजना का लाभ
- इस योजना के तहत समान रैंक समान पेंशन योजना का लाभ मिलेगा
- 2006 से पहले रिटायर हो चुके और अब रिटायर हो रहे कर्मचारियों को एक समान पेंशन का लाभ उपलब्ध कराया जाएगा
- इस योजना से 300000 सेवानिवृत्त सैनिकों को लाभ मिलेगा
- योजना के तहत मिलने वाली राशि का भुगतान चार क़िस्त में किया जाना है। जिसमें पहले किस्त का भुगतान कर दिया गया है।
पेंशन भोगियों को पेंशन के लिए करना होगा इंतजार
वही कैबिनेट की मंजूरी के बाद पेंशन टेबल तैयार करने की आवश्यकता है। जिसके लिए लंबी प्रक्रिया लगेगी। इस कारण से सरकार ने मोहलत को 15 मार्च 2023 तक बढ़ाने की मांग की है। इसका साफ मतलब है कि पेंशन भोगियों को फिलहाल पेंशन के लाभ के लिए अभी थोड़ा इंतजार और करना होगा।
इस खबर की पुष्टि सेंट्रल गवर्नमेंट वेबसाइट पर किया जा सकता है।
इसे भी पढ़ें>>>